रेहड़ी,हाइवे पर चलते लोगो को मारकर सख्ती करी जा रही है Fact Check | Technotok

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जितना आज हिहाड़ी रेहड़ी,हाइवे पर चलते लोगो को मारकर सख्ती करी जा रही है.अगर इसकी 10% भी अगर 30 जनवरी जब पहला कोरोना पीड़ित मिला था चीन मैं , अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर कर ली जाती तो भारत सुरक्षित रहता । इन ग़रीबों को लट्ट नहीं खाने पड़ते खुद की गलती गरीबों पे उतार रहे हैं धन्य हैं सरकार और नेता जय हिंद जय भारत

तस्वीरों में दो लोगों की पीठ पर चोट के गहरे निशान देखे जा सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन के चलते इन लोगों के साथ पुलिस ने मारपीट की है.

देश में चल रहे लॉकडाउन को लेकर सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का एक कोलाज खूब वायरल हो रहा है. तस्वीरों में दो लोगों की पीठ पर चोट के गहरे निशान देखे जा सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन के चलते इन लोगों के साथ पुलिस ने मारपीट की है.

क्या है सच्चाई?

तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ये तस्वीरें पुरानी हैं और इनका अभी चल रहे लॉकडाउन से कोई लेना देना नहीं.

इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ खूब शेयर किया जा रहा है. तस्वीरों के साथ कैप्शन में लिखा जा रहा है- “जितना आज दिहाड़ी, रेहड़ी, हाइवे पर चलते लोगों को मारकर सख्ती की जा रही है, अगर इसका 10% भी 30 जनवरी जब पहला कोरोना पीड़ित मिला था चीन में ,अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर कर ली जाती तो भारत सुरक्षित रहता. इन गरीबों को लट्ठ नहीं खाने पड़ते खुद की गलती गरीबों पे उतार रहे हैं धन्य हैं सरकार और नेता जय हिंद जय भारत”रेहड़ी,हाइवे पर चलते लोगो को मारकर सख्ती करी जा रही है Fact Check | Technotok

कैसे की पड़ताल?

इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला कि Matin News नाम की एक वेबसाइट के लेख में इस तस्वीर को 14 दिसंबर 2017 को इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, बांग्ला में लिखे इस आर्टिकल में तस्वीर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

फेसबुक पर भी कुछ लोगों ने इस तस्वीर को जनवरी 2018 में पोस्ट किया था. इससे ये बात साफ़ होती है कि ये तस्वीर दो साल से ज्यादा पुरानी है.

खोज करने पर पता चला कि ये तस्वीर भी फेसबुक पर पिछले साल से मौजूद है. फेसबुक पर कई लोगों ने इस तस्वीर को जुलाई 2019 में पोस्ट किया था. इससे ये कहा जा सकता है कि इस तस्वीर का भी लॉकडाउन से कोई लेना देना नहीं. ये कह पाना मुश्किल है कि ये तस्वीरें कब ली गई थीं और कहां की है. लेकिन ये स्पष्ट है कि तस्वीरें लॉकडाउन से काफी पहले की हैं.

हालांकि ये भी सच है कि ऐसी कई खबरें सामने आई हैं कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस ने लोगों की पिटाई की.

फैक्ट चेक
फैक्ट चेक: लॉकडाउन के दौरान पुलिस ने नहीं की इन लोगों की पिटाई
दावा
लॉकडाउन के दौरान तस्वीर में दिख रहे लोगों के साथ पुलिस ने मारपीट की.
निष्कर्ष
ये तस्वीरें पुरानी हैं और इनका लॉकडाउन से कोई लेना देना नहीं है.


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